Indian school system

इंडियन स्कूल सिस्टम एक ऐसी चीज़ज़ जो की हमारी ज़िन्दगी के किम्मति दस सालो को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है। मैं जब स्कूल में था तो मुझे अभी भी याद है में खुदा से ये बोलता था की जब में  बड़ा हो जाऊंगा तब मैं इस सिस्टम को चेंज करने के लिए पूरी अपनी जी जान लगा दूंगा क्युकी जब में  सिस्टम के Go Through हो रहा था मुझे याद है।  5th  6th 7th 8th के दिन जब हम फालतू चीजों को पढ़के  रातके एग्जाम मैं लिखकर के आते थे और हमें कुछ भी समझा नहीं आता था की हम पढ़ा क्या रहे है स्कूल में मेम इम्पोर्टेन्ट मार्क आकर देती थी और इम्पोटेंट को की हम याद कर के  एग्जाम में छाप आते थे। बिना समझे की वो बोलना क्या चाह रहा है। इस तरीके से मेजर बच्चों ने अपनी क्लासें बितायी है। जो की किसी काम की पढ़ाई नहीं होती है। और पूरी तरीके से हमारे बचपन को  waste करने का तरीका होता है। 

आइये आज हम बात करते है। The History Of Indian Education System कई साल पहले जब ब्रिटिशर्स इंडिया के अंदर आये थे तो उन्होंने देखा की इंडिया के अंदर बड़ा ही डिफरेंट एजुकेशन सिस्टम है जिसको हम बोला करते थे The gurukul Education System और उन्होंने ये सोचा की जब तक इस सिस्टम को हम खतम नहीं करेंगे तब तक हम इंडिया के ऊपर राज नहीं कर पायेंगे तो ब्रिटिशर्स ने जितने भी गुरुकुल थे उन सबको खतम कर दिया और उन सभी को नास्ट कर दिया और उसके बाद उन्होंने इंडिया के ऊपर कब्जा करना शुरू कर दिया उसके बाद ब्रिटिशर्स बनाते है। खुद का Education System जिसको उन्होंने नाम दिया Indian Education System अब ये जो उन्होंने सिस्टम बनाया है न इसको उन्होंने अपने रेक्विरेमेंट के हिसाब से बनाया क्युकी उस समय ब्रिटिशर्स को कुछ लोगो की रेक्विरेमेंट थी ऐसे लोग की जिन्हे इंग्लिश बोलने अच्छी तरह से आनी चाहिए थी कुछ ऐसे लोग जो बिना कुछ सोचे समझे बस ब्रिटिशर्स के ऑडर को फॉलो करे कुछ ऐसे लोग जिनके अंदर लीडरशिप स्किल तो बिलकुल नहीं होने चाहिए क्युकी अगर लीडरशिप स्किल होती तो वो ब्रिटिशर्स के अगेंस्ट में रिवॉर्ड कर देते तो उन्होंने इसके ऑक्सोडिंग एक एजुकेशन सिस्टम को बनाया अब इसको में न रियल लाइफ से जो आज का हमारा एजुकेशन सिस्टम है न उसे थोड़ा compare कर के आप को देखता हु आज के समय पर स्कूल के अंदर इंग्लिश एक ऐसा सब्जेक्ट जो की compulsory सब्जेक्ट है। क्यों क्युकी ये पुराने समय से जब से ब्रिटिशर्स ने एजुकेशन सिस्टम बनाया है तब चलता आ रहा है। दूसरी चीज़ आप को भी पता है की आपको बहुत सारी चीज़े रटाई जाती है रटने के लिए कहा जाता है और बोला जाता है इन सारि चीज़ो को राटो और एग्जाम में answers को लिखा कर आओ ये भी ब्रिर्टिशेर्स ने ही बनाया था क्युकी उस समय पर ब्रिटिशर्स चाहते थे की लोग ज़यादा सोचे न लोग बस हमारे ऑडर्स को फॉलो करे और वो जो लीडरशिप वाली क्वालिटी उसको न बाने दे इसी वजह से इस पुरे सिस्टम को बनाया गाय। 

इसी चीज़ का एक और एक्साम्प्ले देता हु स्कूल के अंदर आप ने बिल्स तो जरूर देखी होगी वो घंटी जैसे ही पीरियड ख़तम होता है तो बजाय जाता है ये जो घंटी का आईडिया भी ब्रिटिशर्स ने आपने टाइम से लाया था क्यों क्युकी वो चाहते थे की बचपन से स्टूडेंट को आदत पड़ जाये ऑडर्स को फॉलो करने की ये जितने भी सरे सिस्टम है ये सब ब्रिटिशर्स के बनाये गए है दुख की बात तो ये है ये आज तक फॉलो किये जाते है सोचने वाली बात है की इस चीज़ के लिए जिम्मेदार कौन है तो इसके लिए जिम्मेदार है चॉचिंग इंस्टिट्यूट और स्कूल अभी समझता हु कैसे एक स्टोरी से समझते है इमेजिन करो दो  स्टूडेंट है एक स्टूडेंट क्लास 11th के अंदर biology लेता है और एक math लेता मतलब physics,chemistry ,biology या math जब मैंने दोनों स्टूडेंट की आपको स्टोरी बताई तो आप के मान मे किया आया आपके मान में पहला thought आया होगा biology वाला स्टूडेंट तो डॉक्टर बनेगा और ये जो math वाला स्टूडेंट  है वो तो  इंजीनियर बनेगा 99% लोगो की यही सोचा है वो ये नहीं सोचा पते अगर एक स्टूडेंट biology ले रहा है तो उसके पास बहुत सारे ऑप्शन है biology के अंदर केवल डॉक्टर ही एक ऑप्शन नहीं है। 

पर कोचिंग इंस्टिट्यूट की वजह से बस हमारे दिमाग में एक ही इमेज आती है की biology ली है तो डॉक्टर बनेगा अगर math ली है तो इंजीनियर बनेगा क्यों क्युकी आप किसी भी सहर के अंदर चले जाओगे कोटा,दिल्ली तो उसके अंदर आपको बड़े – बड़े पोस्टर्स दिखेंगे कोचिंग इंस्टिट्यूट के की हमारी कोचिंग के अंदर इस साल IIT ,JEE  की रैंक 1 आयी है हमारी ह कोचिंग के अंदर neet की रैंक 1 आयी है ये जो कोचिंग है ये आपको सपना बेचते है आपके पैरेंट को सपना बेचते है 

किस चीज़ का सपना रैंक का  सपना अगर हमारी कोचिंग से आपका बच्चा पढ़े गा तो उसकी भी रैंक 1 या तो रैंक 2 आएगी उसे काम तो हमारी कोचिंग अंदर तो आती ही नहीं हे  तो यही  रियलिटी है कोचिंग इंस्टिट्यूट की वो आपको सपने बेचते हे वो देखते हे की अगर आप हमारी कोचिंग के अंदर आओगे तो आपके अंदर ये रैंक आ सकती है और इन्ही कोचिंग की वजह से हम ये नहीं सोच पते है की कितने और ऑप्शन हैं जो की हम सोचा सकते है जैसे की finance,Ai,data science,न जाने कितने अलग -अलग ऑप्शन है जिसके अंदर आप अपना करियर बना सकते है हमारे अंदर एक ऑप्शन आता है जो की है IIT ,JEE ,NEET,UPSC,SSC 90% स्टूडेंट की लाइफ इधर ही खत्म हो जाती है जब की अलग – अलग courses जैसे की Data Science जिसका फ्यूचर के अंदर बहुत सारी जॉब्स आने वाली है उन सारे courses को लोग नेग्लेक्ट कर देता है अब आपको ये तो समझा आगया होगा ये जो कोचिंग इंडस्ट्री ये इस एजुकेशन सिस्टम के  लिए रेस्पोंसिबल है। 

अब अगला सवाल ये उठता है की स्कूल भी इस एजुकेशन सिस्टम के लिए रेस्पोंसिबल है तो इसका उत्तर हे हाँ न केवल स्कूल बाल्कि ये जो सोसाइटी हे न ये भी इस एजुकेशन सिस्टम के लिए रेस्पोंसिबल है अब इसी चीज़ को समझते है एक छोटी सी  स्टोरी के साथ ये स्टोरी एक राहिल नाम के स्टूडेंट की राहिल जो है वो क्लास 10th के अंदर आता है और अपने district के बेस्ट प्राइवेट इंस्टिट्यूट के अंदर एडमिशन ले लेता है वो ये सोचता है की ये वाला जो स्कूल है ये तो बेटस स्कूल है इसके टीचर्स भी बेस्ट इसके अंदर में  एडमिशन ले लेता हु और मुझे क्लास १०थ के अंदर किसी और कोचिंग जरुरत नहीं पड़ेगी पर कुछ समय बाद उसे ये समझा आ गया की ये जो स्कूल टीचर्स है न वो स्कूल के अंदर उतना अच्छा पढ़ते ही नहीं है फिर एक दिन उसका एक दोस्त आता हैं और उसका दोस्त ये बताता है की वो जो उनके math के टीचर है न जो की स्कूल के अंदर अच्छा नहीं पढ़ते वही टीचर उनके जो प्राइवेट कोचिंग क्लासेज है उनके अंदर बहुत अच्छा पढ़ते है पहले तो वो स्टूडेंट शॉक हो जाता है और सोचता है ऐसे थोड़ी न होता है math टीचर अगर स्कूल में  अच्छा  नहीं पढ़ते तो टूशन के अंदर वो अच्छा  कैसे पढ़ेंगे पर एक दिन वो जाता है उन्ही टीचर के चॉचिंग क्लास के अंदर और वो जाकर ये देखता है ये बिलकुल सच था की वही टीचर जो स्कूल में  अच्छा नहीं पढ़ा रहे पर अचनाक से उनके टूशन के अंदर वो बहुत अच्छे मेथड से पढ़ने लगते है और यही रियलिटी है 90%ऑफ़ प्राइवेट इंस्टिट्यूट  के टीचर्स की क्युकी जितने भी इंस्टिट्यूट टीचर्स है वो एक प्राइवेट कोचिंग जरूर पढ़ते है जिसकी वजह से वो स्कूल में उतना अच्छा  नहीं पढ़ा पते पर एक आपको समझनी पड़ेगी की इसमें गलती बिलकुल भी टीचर्स की नहीं है  क्यों क्युकी आपको मई रियलिटी बताता हु इंडियन के अंदर एक टीचर जैसी जॉब जो की one of the best job मानी जाती थी पुराने जमने मई टीचर्स को पूजा जाता था इसे जॉब की आज के समय पर इंडिया की avg salary?पता है कितनी 20-25हज़ार रुपये केवल एक टीचर जैसे इतनी बड़ी जॉब को इतना काम पैसा मिलेगा तो आम से बात है न उस टीचर को अपने घर को चलने के लिए प्राइवेट कोचिंग में तो पढ़ना ही पड़ेगा न ये बात सिर्फ यह तक खतम नहीं होती एक टीचर को समज मे इस सोसाइटी मे इज़्ज़त नहीं मील पति इसको भी में एक Example से समझा ता हु बचपन से आपके पार्टेंस ने आपको क्या बोला होता है बीटा तू इंजीनियर बान बीटा तू  डॉक्टर बीटा तू IASबन पर आपके पेरेंट्स ने आज तक आपको ये बोला की बीटा तू टीचर बन नहीं सिर्फ 1%पेरेंट्स ऐसे होते जो अपने बच्चे को टीचर बनान चाहते है बाकि सब लोग इंजीनियर ,डॉक्टर ,ias इन्हे फील्ड मई अपने बच्चो को ले जाना चाहते है। 

तो एक टीचर को न ही सैलरी मिल रही है न  नहीं इज़्ज़त मिल रही  तो अगर  एक टीचर जैसी जॉब के साथ ये  होगा तो एजुकेशन सिस्टम कैसे अच्छा हो पायेगा।

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